शिक्षा वह हथियार है जिससे हम कोई भी जंग जीत सकते हैं ।
यह वह बात है जो बचपन में हमने कई बार सुनी होगी। खासकर अगर हम मध्यम वर्ग परिवार से हैं तब तो जरूर ही हमें यह सिखाया होगा कि शिक्षा है तो जिंदगी है वरना कुछ नहीं। भारत में मोटे तौर पर तीन वर्ग है उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग। उच्च वर्ग के परिवारों में शिक्षा पर महत्व दिया जाता है जब माता-पिता नौकरी पेशा हो और अगर वह उद्योगपति है तो उनको फर्क नहीं पड़ता। मेरा कहना यह नहीं है कि उच्च वर्ग के उद्योगपतियों की संताने पढ़ती नहीं है या फिर पढ़ना नहीं चाहती पर यह भी एक तथ्य है कि वह जानते हैं की पढ़ाई उनकी जिंदगी में बदलाव नहीं लाने वाली यह 100% सत्य भी नहीं है ।कई उदाहरण है जहां पर कुछ शख्स अच्छी तालीम लेकर अपने परिवार का उद्योग आगे बढ़ाते हैं और बहुत कम पर कुछ ऐसे भी उदाहरण मिलेंगे जहां पर पढ़ने के बाद विद्यार्थी अपने परिवार के उद्योग को छोड़कर कोई और पेशा चुन लेते हैं।
फिर बात आती है मध्य वर्क की। यहां तो घूम फिर कर सारी बात पढ़ाई पर ही टिकी होती है। परिवार के लोगों को ऐसा लगता है कि अगर हमारा बच्चा पढ़ाई में कुछ नहीं कर पाया तो उसकी जिंदगी बर्बाद है ।वह तो रोटी खाने को भी मोहताज हो जाएगा। इनका बहुत ही सरल जवाब है जिंदगी के हर सवाल का – पढ़ाई, पढ़ाई से पैसा और फिर जो मुश्किलें एक पीढ़ी ने झेली है वह दूसरी पीढ़ी नहीं झेलेगी ।
पर सच में क्या ऐसा होता है कोई पीढ़ी होती है जिसको अपने समय की मुश्किलें ना झेलनी पड़े?
नहीं ,नहीं होती ।
खैर मध्यम वर्ग से आगे बढ़ते हैं और निम्न वर्ग पर पहुंचते हैं। निम्न वर्ग के लोगों के साथ मेरा जितना अनुभव है वह यह कहता है कि यहां दो किस्म के लोग हैं एक जो सोचते हैं की पढ़ाई करते ही कुछ जादू हो जाएगा ।जो संघर्ष हम कर रहे हैं अगर हमारे बच्चे पढ़ ले तो उन्हे वह संघर्ष नहीं करना पड़ेगा ।
जैसे अब हमें कभी-कभी भूखा सोना पड़ता है अगर यह पढ़ ले तो कभी भी इन्हें भूखा नहीं सोना पड़ेगा। उनकी जिंदगी से सब मुश्किलें खत्म हो जाएगी।
दूसरे किस्म के वह लोग हैं जिन्हें लगता है की पढ़ाई सिर्फ वह कर सकते हैं जो अमीर है ।जिनके पास पैसा है। हमारे बच्चे पढ़ भी लेंगे तो क्या ही हो जाएगा ?
इससे ज्यादा कुछ बदलने वाला नहीं है। करनी तो इन्हें बाद में जाकर मजदूरी ही है ,इससे अच्छा बचपन से ही काम कर लें। पढ़ाई करके वक्त क्यों बर्बाद करना है ?
अभी से ही काम करेंगे तो घर में चार पैसे आएंगे तो कुछ मदद हो जाएगी ।
तो आपने देखा घूम फिर के किसी भी वर्ग की बात कर ले तो पढ़ाई का अंतिम लक्ष्य पैसा है।हर वर्ग में ज्यादातर लोग अपने बच्चों को इसलिए पढ़ा रहे हैं कि वह पैसा कमा सके।
हां पढ़ाई बहुत सारे ज़रियो में से एक जरिया है पैसा कमाने का। पर इसके अलावा भी बहुत ज़रिए हैं ।
और पढ़ाई क्या सिर्फ पैसा कमाने के लिए आवश्यक है?
और किसी चीज़ के लिए नहीं ?
2 मिनट रुक कर अपने आप सोचिए ,पैसा तो सर सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए कमाते हैं पर पढ़ाई तो अपने अलावा पूरे समाज के लिए आवश्यक है ।सोचिए एक अनपढ़ समाज कैसा होगा?
एक समाज जहां कोई पढ़ेगा लिखेगा नहीं वह कैसा होगा? सभ्यता नाम की कोई चीज नहीं बचेगी ।एक दूसरे से कैसे बात करनी है यह किसी को नहीं आता होगा। गुस्से मैं और प्यार में क्या फर्क होता है यह भी शायद पता ना चले। बस उस समाज को कमान आता होगा और बाकी कुछ नहीं ।आजकल जो कंपटीशन का जमाना आ गया है जिसमें सब मां-बाप बस यही चाहते हैं कि हमारे बच्चे बहुत अच्छे नंबर लाए और उनका बहुत बढ़िया और सबसे ज्यादा सैलरी पैकेज हो जाए ।उनको भी रुक कर सोचना चाहिए कि इस दबाव में बच्चे पढ़ लिखकर अच्छा तो कमा लेंगे पर पढ़ाई करके जो उन्हें और बहुत कुछ सीखना चाहिए वह क्या सीख पाएंगे?
वह बस एक मशीन बनेंगे एक अच्छा इंसान नहीं। और ऐसे इंसान वैसा ही समाज बनाएंगे जैसे कि एक अनपढ़ लोगों का समाज होता है। क्योंकि मशीन तो मशीन होती है उसमें कोई सभ्यता या भावनाएं नहीं होती।
अपने बच्चों को मशीन बनाने के लिए मत पढ़ाइए ।उन्हें एक अच्छा इंसान और एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए पढ़ाइए। जय हिंद

-आस्था कोहली

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